<3 <3 <3 <3 <3 JAI MATA DI <3 <3 <3 <3 RADHE RADHE ! JAI SHRI KRISHNA ! CHALO BULAWA AAYA HAI ! MATA NE BULAYA HAI ! PREM SE BOLO JAI MATA DI ! SAARE BOLO JAI MATA DI ! <3 <3 <3 <3 <3.नवरात्री कि ढेर सारी शुभकामनाएं!! महाशक्ति की आराधना का पर्व है “नवरात्री”!!
आज महालया है और कल से नवरात्री आरम्भ है! महालया के दिन माता कैलाश से पृथ्वी के लिए यात्रा आरंभ करती हैं और अगले दिन यानी कलश स्थापन के दिन पृथ्वी पर पहुंच जाती हैं।

देवी माँ के नौ रूप के बारे में जाने..!!
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्क्न्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।
जिस प्रकार सृष्टि या संसार का सृजन ब्रह्मांड के गहन अंधकार के गर्भ से नवग्रहों के रूप में हुआ , उसी प्रकार मनुष्य जीवन का सृजन भी माता के गर्भ में ही नौ महीने के अन्तराल में होता है। मानव योनि के लिए गर्भ के यह नौ महीने नव रात्रों के समान होते हैं , जिसमें आत्मा मानव शरीर धारण करती है।
नवरात्र का अर्थ शिव और शक्ति के उस नौ दुर्गाओं के स्वरूप से भी है , जिन्होंने आदिकाल से ही इस संसार को जीवन प्रदायिनी ऊर्जा प्रदान की है और प्रकृति तथा सृष्टि के निर्माण में मातृशक्ति और स्त्री शक्ति की प्रधानता को सिद्ध किया है। दुर्गा माता स्वयं सिंह वाहिनी होकर अपने शरीर में नव दुर्गाओं के अलग-अलग स्वरूप को समाहित किए हुए है।
शारदीय एवं चैत्र नवरात्र में इन सभी नव दुर्गाओं को प्रतिपदा से लेकर नवमी तक पूजा जाता है। इन नव दुर्गाओं के स्वरूप की चर्चा महर्षि मार्कण्डेय को ब्रह्मा जी द्वारा इस क्रम के अनुसार संबोधित किया है।
1. शैल पुत्री- माँ दुर्गा का प्रथम रूप है शैल पुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहाँ जन्म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैल पुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं।

2. ब्रह्मचारिणी- माँ दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। माँ दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।

3. चंद्रघंटा- माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आकर्षण बढ़ता है।

4. कुष्मांडा- चतुर्थी के दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों, निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है।

5. स्कंदमाता- नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।

6. कात्यायनी- माँ का छठवाँ रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूली बेला में करना होता है।

7. कालरात्रि- नवरात्रि की सप्तमी के दिन माँ काली रात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। तेज बढ़ता है। 

8. महागौरी- देवी का आठवाँ रूप माँ गौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। महागौरी की पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर क्रांति बढ़ती है। सुख में वृद्धि होती है। शत्रु-शमन होता है।

9. सिद्धिदात्री- माँ सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है। इनकी आराधना से जातक अणिमा, लघिमा, प्राप्ति,प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसांयिता, दूर श्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व, भावना सिद्धि आदि समस्तनव-निधियों की प्राप्ति होती है। । नवदुर्गा के स्वरूप में सिद्धिदात्री देवी उन सभी महाविद्याओं की अष्ट सिद्धियां भी प्रदान करती हैं , जो सच्चे हृदय से उनके लिए आराधना करता है। नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा उपासना करने के लिए नवाहन का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करके जो भक्त नवरात्र का समापन करते हैं , उनको इस संसार में धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। —   <3 <3 <3 SABHI BHAKTO KO PARNAAM <3 <3 <3 <3 : PANDIT JI

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